निश्छल प्रेम... | Shayari Copy - All Shayari Collection

निश्छल प्रेम...

निश्छल प्रेम

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दो जिस्मों का एक हो जाना कोई आसां नहीं
इसके लिए तो छोड़नी पड़ती है अपनी सारी खुदी
जब तुम्हारे दिल में होता हैं सदा निश्चल समर्पण
ऐसे रिश्ते पर ही तो सब करते है श्रद्धा पुष्प अर्पण


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via #Lazy Boy

LazyBoy0007

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