भोर भई पंछी जागे | Shayari Copy - All Shayari Collection

भोर भई पंछी जागे


भोर भई पंछी जागे
दूर हुआ अँधेरा
दूर क्षितिज के पीछे से
झाँके एक नया सवेरा
उपवन के फूलों से
महका हर कोना हर क्यारी
नयी उम्मीद का दामन थामे
जाग गयी दुनिया सारी
भोर भई एक मतवाला
पाहुन आया घर मेरे
अपनों का संदेशा लेकर
कोई आया सुबह सवेरे
रवि आया किरणे फैलीं
दूर हुए अँधेरे
धरती पर उस चित्रकार ने
फिर से नए रंग बिखेरे
_____________
Good morning ♥️
via #Lazy Boy

LazyBoy0007

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