काठगढ़ महादेव – यहां है आधा शिव आधा पार्वती रूप शिवलिंग (अर्धनारीश्वर शिवलिंग) | Shayari Copy - All Shayari Collection

काठगढ़ महादेव – यहां है आधा शिव आधा पार्वती रूप शिवलिंग (अर्धनारीश्वर शिवलिंग)

 Kathgarh Mahadev History (in Hindi): हिमाचल प्रदेश की भूमि को देवभूमि कहा जाता है। यहां पर बहुत से आस्था के केंद्र विद्यमान हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के इंदौरा उपमंडल में काठगढ़ महादेव का मंदिर स्थित है।  यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां शिवलिंग ऐसे स्वरुप में विद्यमान हैं जो दो भागों में बंटे हुए हैं अर्थात मां पार्वती और भगवान शिव के दो विभिन्न रूपों को ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तित होने के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढ़ता रहता है। ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शीत ऋतु में पुन: एक रूप धारण कर लेता है।

Kathgarh Mahadev

शिव पुराण में वर्णित कथा (Story of Shiv Purana)

शिव पुराण की विधेश्वर संहिता के अनुसार पद्म कल्प के प्रारंभ में एक बार ब्रह्मा और विष्णु के मध्य श्रेष्ठता का विवाद उत्पन्न हो गया और दोनों दिव्यास्त्र लेकर युद्ध हेतु उन्मुख हो उठे। यह भयंकर स्थिति देख शिव सहसा वहां आदि अनंत ज्योतिर्मय स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए, जिससे दोनों देवताओं के दिव्यास्त्र स्वत: ही शांत हो गए।

ब्रह्मा और विष्णु दोनों उस स्तंभ के आदिअंत का मूल जानने के लिए जुट गए। विष्णु शुक्र का रूपधरकर पाताल गए, मगर अंत न पा सके। ब्रह्मा आकाश से केतकी का फूल लेकर विष्णु के पास पहुंचे और बोले- ‘मैं स्तंभ का अंत खोज आया हूं, जिसके ऊपर यह केतकी का फूल है।’

Kathgarh Mahadev History

ब्रह्मा का यह छल देखकर शंकर वहां प्रकट होगए और विष्णु ने उनके चरण पकड़ लिए। तब शंकर ने कहा कि आप दोनों समान हैं। यही अग्नि तुल्य स्तंभ, काठगढ़ के रूप में जाना जाने लगा। ईशान संहिता के अनुसार इस शिवलिंग का प्रादुर्भाव फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि को हुआ था।

चूंकि शिव का वह दिव्य लिंग शिवरात्रि को प्रगट हुआ था, इसलिए लोक मान्यता है कि काठगढ महादेव शिवलिंग के दो भाग भी चन्द्रमा की कलाओं के साथ करीब आते और दूर होते हैं। शिवरात्रि का दिन इनका मिलन माना जाता है।

अर्धनारीश्वर

अर्धनारीश्वर का रूप

दो भागों में विभाजित आदि शिवलिंग का अंतर ग्रहों एवं नक्षत्रों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है और शिवरात्रि पर दोनों का ‘मिलन’ हो जाता है। यह पावन शिवलिंग अष्टकोणीय है तथा काले-भूरे रंग का है। शिव रूप में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई 7-8 फुट है जबकि पार्वती के रूप में अराध्य हिस्सा 5-6 फुट ऊंचा है।

भरत की प्रिय पूजा-स्थली

मान्यता है, त्रेता युग में भगवान राम के भाई भरत जब भी अपने ननिहाल कैकेय देश (कश्मीर) जाते थे, तो काठगढ़ में शिवलिंग की पूजा किया करते थे।

शिवरात्रि के त्यौहार पर प्रत्येक वर्ष यहां पर तीन दिवसीय भारी मेला लगता है। शिव और शक्ति के अर्द्धनारीश्वर स्वरुप श्री संगम के दर्शन से मानव जीवन में आने वाले सभी पारिवारिक और मानसिक दु:खों का अंत हो जाता है। इसके अलावा सावन के महीने में भी |

Kathgarh Mahadev History





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